लेखनी प्रतियोगिता -05-Mar-2023 अजनबी मत बनो
शीर्षक-अजनबी मत बनो
अजनबी राहो की डगर चले,
आंखों में आस लेकर चले,
अपनों का प्यार लेकर चले,
हो सब अपना यह ठान कर चले।
लेकर आपका दीपक चले,
जुगनू से सीख लेकर चले,
सांझ का हौसला लेकर चले,
चांद की आस मन में जगा कर चले।
मिली प्रेरणा हमें आज,
सभी ने सिखाया हमें काज,
अजनबी होकर बनाया साज,
प्रकृति की देन पर है नाज।
हर मुसीबतों का किया सामना,
डटकर किया मुकाबला,
अजनबी होकर भी सबको अपनाया,
नये रिश्तो की राह बनाया।
न समझो कभी किसी को अजनबी,
प्यार की बातों से अपने होते सभी,
राह में शूल भी मिले उन्हें हटाते चलो,
आगे तुम अब बढ़ते चलो।
कभी जीवन में न रहोगे अकेले,
मिलेगा तुम्हें साथ बन जाओगे दुकेले,
स्कूल जब जाते होते थे अकेले,
कुछ दिन में बन जाते दोस्ताने।
ऑफिस जब जाते ना होता कोई अपना,
कुछ दिनों में दिल अपना वही बसता,
ऑफिस बन जाता अपना सपना,
जीवन में अजनबी कभी न समझना।
लेखिका
प्रियंका भूतड़ा प्रिया
Renu
07-Mar-2023 04:55 PM
👍👍💐
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Abhinav ji
06-Mar-2023 08:22 AM
Very nice
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Reena yadav
06-Mar-2023 06:20 AM
Nice....👌💐
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